गेहूं (Wheat) की फसल एक रबी की फसल (Rabi Crops) है। इसकी बुबाई लगभग 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच में की जाती हैं। गेहूँ की बुआई समय से एवं पर्याप्त नमी पर करना चाहिए। देर से पकने वाली प्रजातियों की बुआई समय से अवश्य कर देना चाहिए अन्यथा उपज में कमी हो जाती है।
जितना ज्यादा बुआई में विलम्ब होता जाता है, गेहूँ की पैदावार में गिरावट की दर बढ़ती चली जाती है। दिसम्बर से बुआई करने पर गेहूँ की पैदावार 3 से 4 कु0/ हे0 एवं जनवरी में बुआई करने पर 4 से 5 कु0/ हे0 प्रति सप्ताह की दर से घटती है। गेहूँ की बुआई सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है।
गेहूं की बुवाई
गेहूं की बुवाई अधिकतर धान के बाद की जाती है इसीलिए ज्यादातर जगहों पर गेहूं की बुवाई में देरी हो जाती है। हम किसानों को पहले से निश्चित कर लेना चाहिए की खरीफ की फसल में धान की कौन सी प्रजाति का उपयोग करें ताकि समय से रवि की फसल बोई जा सके।
गेहूं का अत्यधिक उत्पादन लेने के लिए हमें खरीफ की फसल जैसे धान आदि को समय से बोना चाहिए। जिससे गेहूं की बुवाई के लिए अक्टूबर तक खेत खाली हो जाए। धान की फसल के बाद खेत थोड़ा कठोर हो जाता है इसलिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए तत्पश्चात ही गेहूं को बोना चाहिए। मिट्टी भुरभुरी हो जाने के बाद ही गेहूं की बुवाई करनी चाहिए। रोटावेटर से जुताई करने पर खेत एक बार में ही पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है।
गेहूं की बुवाई के लिए उपयुक्त समय निर्धारण कर लेना चाहिए और खेत में नमी की मात्रा भी चेक कर लेनी चाहिए जिससे कि गेहूं का अंकुरण अच्छी तरह से हो सके। देर से पकने वाली प्रजातियों की बुवाई समय से कर देनी चाहिए जिससे की उपज में कोई प्रॉब्लम ना हो। जैसे-जैसे बुवाई में विलंब होता जाता है उत्पादन की मात्रा भी समय के हिसाब से कम होती जाती है इसलिए गेहूं की बुवाई समय से करना अति आवश्यक है।
बीज की मात्रा एवं अच्छे बीज का प्रयोग
मशीन से बुवाई करने पर 100 किलोग्राम तथा मोटा दाना 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए। यदि खेत में बीज की अंकुरण क्षमता कम है तो बीज का प्रयोग सामान्य दाना 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा मोटा दाना 150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।
बुवाई करने से पहले बीज का जमाव या अंकुरण अवश्य चेक कर लें आसपास के लोकल राजकीय अनुसंधान केंद्रों पर यह सुविधा फ्री में उपलब्ध है। यदि पुराना बीज उपयोग करने वाले हैं तो बीज के अंकुरण क्षमता अवश्य चेक कर लेनी चाहिए जिससे कि बाद में प्रॉब्लम ना हो।
गेहूं में खाद एवं उर्वरक की मात्रा
बुवाई के समय गेहूं की फसल में प्रति हेक्टेयर लगभग एक कुंटल डीएपी का प्रयोग करना चाहिए। डीएपी की मात्रा 25 किलोग्राम तक खेत की उर्वरक क्षमता के अनुसार बढ़ा भी सकते हैं। बुवाई के बाद प्रथम दो भराई अर्थात पानी लगाते समय, गेहूं की फसल में एक साधारण खेत में लगभग दो बार यूरिया का प्रयोग करना चाहिए। दोनों बाहर यूरिया की मात्रा भी प्रति हेक्टेयर एक कुंटल तक होनी चाहिए। यूरिया का प्रयोग पानी लगाने के बाद ही करना चाहिए जब खेत पैर सहने लायक हो जाए अर्थात पानी लगाने के एक-दो दिन बाद।
गेहूं की बुवाई की विधि
प्राचीन समय में गेहूं की बुवाई हल्के पीछे गुणों में गेहूं का दाना डालकर की जाती थी परंतु आजकल टेक्नोलॉजी के जमाने में फर्टी सीड ड्रिल द्वारा की जाती है। ज्यादातर लोग ट्रैक्टर से चलने वाली इस मशीन का प्रयोग आजकल करने लगे हैं। इस मशीन से गेहूं की बुवाई करने पर बीज की बचत तथा समय की बचत तथा अच्छी पैदावार का लाभ मिलता है।
गेहूं में सिंचाई का समय एवं मात्रा
हमारे देश में गेहूं की कम पैदावार के बहुत से कारण हैं जिनमें से प्रमुख कारण है सिंचाई का समय से ना होना। अधिक उपज लेने के लिए हमें सिंचाई समय से करनी चाहिए तथा खाद आदि का प्रयोग भी अच्छी तरह तथा समय से करना चाहिए।
पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए जल का सही भराव अति आवश्यक है। पानी भूमि में पोषक तत्वों को घुलनशील बनाता है जिससे जो हम खाद आदि डालते हैं वह पानी की सहायता से घुलकर पौधे को लाभ पहुंचाता है।
गेहूं की फसल में सिंचाई की मात्रा सर्दियों में होने वाली वर्षा पर निर्भर करता है। यदि बारिश नहीं होती है तो लगभग गेहूं में 4 से 6 पानी लगने अति आवश्यक होते हैं। यदि आपके यहां की भूमि दोमट नहीं है यानी कि रेतीली है तो आपके यहां 6 से 8 पानी लगाना अति आवश्यक है। यदि समय से बारिश नहीं होती है तो गेहूं में लगभग 15 दिन के बाद पानी लगाना अनिवार्य होता है।
गेहूं में पहला पानी कब लगाएं
गेहूं की फसल में पहला पानी लगभग अंकुरण होने के बाद जब पौधा 5 या 6 इंच का हो जाए उसके बाद लगाना चाहिए या फिर समय-समय पर नमी की मात्रा को चेक कर लेना चाहिए यदि खेत में नमी कम है तो पानी लगा देना चाहिए। लेकिन पहला पानी हल्की मात्रा में ही प्रयोग करना चाहिए। पहले पानी में अधिक पानी प्रयोग कर देने से पौधे का विकास कम हो जाता है। इसलिए प्रथम पानी अधिक मात्रा में नहीं लगाना चाहिए। प्रथम पानी लगभग 20 से 25 दिन में लगाया जाता है। यदि आपके यहां की भूमि रेतीली है तो लगभग 15 से 20 दिन के अंदर पानी लगा देना चाहिए।
गेहूं की पैदावार
भारत में गेहूं की पैदावार एक अच्छे खेत में लगभग 5 से 7 क्विंटल तक होती है। लेकिन जिन खेतों की देखभाल अच्छी तरीके से नहीं होती है तथा समय से पानी, खाद्य आदि का प्रयोग नहीं होता है उनमें पैदावार घट जाती है। गेहूं की पैदावार कम से कम 2 से 3 कुंटल तक किसी भी प्रकार के खेत में होनी ही चाहिए।
Aacha laga jankar
Apki jaankari se mera summer vacation home work ho Gaya thankyou
आपकी इस जानकारी ध्यानपूर्वक पढ़ा और पढ़ कर अच्छा लगा।
आपने गेहूं के बारे में विस्तार से जानकारी दी है
आप इसी तरह की जानकारी लाते रहिए।
Thank you for this article.